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Tona & Totka

टोना – टोटका में अंतर 

बीते समय में कहा जाता था कि, रावण ने वायु, वरुण, अग्नि व् काल को अपने पलंग से बाँध रखा था । ये सब उसके हुक्म से काम करते थे । बीते युग में बिजली, पानी, आग, बादल सब ही अलौकिक लगते थे । परन्तु आपतो इससे परिचित हो गए हैं ।

क्या रावण ! बटन दवाते ही पवन पंखा करने लगती है । हीटर आग बरसाने लगता है । नलकूप पानी की धारा बहार फैकने लगता है । आटा मिनटों में पिस जाता है । मशीन के युग में, सब कुछ आसान । सब मानव के अपने वश में । फिर भला आप में व् रावण की शक्ति में क्या अंतर रह गया है आज कल । आज सब कुछ, मानव की कैद में है । ” टोना टोटका ” भी इसी का रूप माना जा सकता है ।

यूँ – तो आम लोग, टोना व् टोटका को एकही समझ लेते हैं । परन्तु ” टोने टोटके ” में, जमीं आसमान का अंतर है । ‘टोटका’ में, किसी शास्त्रीय विधि- विधान, मन्त्र जाप व् हवनादि नहीं करना पड़ता । परन्तु ‘टोने’ में समस्या (काम ) के अनुसार, विधि-विशेष मन्त्र, अनुष्ठानादि व् द्रव्य ( सामग्री ) सहित करना पड़ता है ।

‘टोटका’ हमेशा मानव कल्याण या कष्ट निवारण के लिए, विद्वेषण, उच्चाटन, राग द्वेष, मारण व् मोहन के लिए किसी विशेष तिथि, दिन-वार, समय (दोपहर बारह बजे या रात के बारह बजे ) स्थान विशेष ( चौराहा, चौक, शमशानघाट, जंगल, नदी व दरिया आदि ) पर किए जाते हैं । नर-बलि पशु बलि आदि अक्सर ग्रामों में , भुत-प्रेत, चुड़ैल व् पिशाचिनी आदि को दूर करने के लिए दी जाती हैं ।

हमें चाहिए कि हम, अपने कष्ट निवारण के लिए, तो बेशक, इन ‘टोने टोटकों’ का सहारा ले लें । परन्तु, किसी का अहित या अमंगल करना उचित नहीं है ।