भुत, प्रेत, शैतान, डाकिनी, चुड़ैल आदि उपरी बाधाओं से ग्रसित व्यकियों का लक्षण
1- भुत प्रेत आदि से ग्रसित व्यक्त को सबसे पहले पवित्रता से घ्रणा होती है. वह पवित्र वातावरण में रहने से घबराता है. स्नान करने से डरता है. धुप में प्रकाश में बैठने से घवराता धुले हुए वस्त्र नहीं पहनता. मंदिर में नहीं जाता. धुप-दीप नहीं करता न भगवान् का दर्शन करता है.
2- ऐसे व्यक्ति के व्यव्हार एवं वाणी अपवित्र आ जाती है.
3- उसकी आखों के निचे काली झुर्रियां बन जाती है और उसकी आँखें डरावनी लगत्ती है.
4- ऐसे व्यक्ति को नेत्र से नेत्र मिलने को कहेंगें तो नेत्र मिलते ही पलकें झुका देगा.
5- यदि बाधित व्यक्ति के शारीर में हिंसक आत्मा है तो उसकी अंकों के डोलो में से में से चिंगारी – सी निलती हुई प्रतीत होगी तथा साधारण व्यक्ति उसके नेत्र नहीं मिला पायेगा.
6-प्रेत बाधा खासकर डाकिनी, शाकिनी भूतनी व् पिशाचिनी से से ग्रसित महिला की आखों में देखने वाले को अपने शारीर का प्रतिबिम्ब उल्टा दिखाई देगा.
7- प्रेत् दोष से ग्रसित व्यक्ति से नाखूनों का रंग बदल जायेगा. वह व्यक्ति नाखुन बढ़ाएगा तथा उनके नाखुन हिंसक जानवरों की तरह नुकीले होंगे.
8- यदि बाधित व्यक्ति कोई महिला है तो उसकी माहवारी में काले रंग का खून गिरना शुरू होगा.
9. ऐसे जातक के गुप्तांगों में विकृति आणि शुरू होगी.
10- ऐसे जातक को स्वप्नदोष की बीमारी होगी. जातक स्वप्न दोष की बीमारी होगी. जातक स्वप्न में किसी से सम्भोग करेगा. उसका वीर्य स्खलित होगा पर उसका दाग नहीं पड़ेगा.
11- जातक का आत्म विश्वास टूटेगा एवं मानसिक रूप से चिडचिडा हो जायेगा. बात-बात पर काटने को दौड़ेगा. लड़ाई, मार- पिट की भाषा ज्यादा बोलना और एसा ही आचरण करेगा.
12- ऐसे व्यक्ति भोग-विलास के समय अपने जीवन साथी से नफरत करेगा. यदि स्त्री है तो अपने पति से झगड़ा करेगी. पति के प्रतेक कार्य में असहयोग करेगी. पति को काटने-मरने दौड़ेगी. उसको अजनबी की नजर से देखेगी.
13- जब व्यक्ति अकारण असुंदर होने लगता है. प्रतिपल मोहित-सा रहता है एवं सुगन्धित द्रव्यों को ज्यादा पसंद करता है, तो ये प्रेत्दोश के प्रारंभिक लक्षण है.
14- मध्य रात किओ ख़राब स्वप्न आए, स्वप्न में काले कपडे वाला पुरुष या स्त्री दिखे, तो यह पिशाच वध के प्रारंभिक लक्षण हैं.
15- गर्भवती स्त्री का किसी डर या भय से कच्चा गर्भ गिर जाये, जच्चे-बच्चे की अप्रक्र्तिक म्रत्यु पिशाच वाधा का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
16- सुनसान जगह में व्यक्ति भरी दोपहरी को यदि कहीं लघुशंका करता है, अथवा शौचादि से निवर्त होता है और उसके वाद घर पहुचते-पहुचते व्यक्ति की तबियत ख़राब हो जाती है तो निश्चित ही वह व्यक्ति देवदोष से वाधित हो चुका है.
17-सुनसान जगह में, मध्य रात्रि को व्यक्ति किसी शमशान, कब्रिस्थान या किसी वृक्ष के निचे लघुशंका करता है अथवा शौचादि से निवृत होता है और उसके बाद घर पहुचते-पहुचते व्यक्ति की तबियत ख़राब हो जाती है तो निश्चय ही वह व्यक्ति प्रेतावाधा से ग्रसित हो चुका है.
18- शमशान, कब्रिस्तान, कोई देवताओं के स्थान या किसी वृक्ष के निचे रखा हुआ भोजन ( चाहे वह टिफन में ही बंद क्यों न हो ) खाने के बाद यदि तबीयत ख़राब होती है तो निश्चय जानिए कोई अत्रप्त आत्मा व्यक्ति के शारीर में प्रवेश कर चुकी है.
19- किसी भी उग्र देवता का बलिप्रसाद, किसी व्यक्ति विशेष के कुल देवता, कुल देवी का बलि अन्न भूलकर भी ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्यथा देवदोष, पित्रदोष एवं भैरव दोष का प्रवल खतरा रहता है.
20- आमतौर पर जिन पुरुषों पर प्रेत अपना अधिकार कर लेता है वह अपने शारीर को नोचना और काटना शुरू कर देता है. खूब चल्लाता है या एकदम चुप्पी साध लेता है. बडबडाता भी है. आकाश की और या अकारण ही किसी ओर देखकर बातें करने लगता है. उछलना, कूदना, दौड़ना गिरना साधारण बात हो जाती है. शारीर का रंग पीला पद जाता है और दिन-प्रितिदिन दुर्बल होता जाता है.एसा लगता है मनो कोई उसका खून चुसे जा रहा हो. आखें हमेशा लाल रहती है, उनमें कुछ टेढ़ापन आ जाता है और हर समय त्योरियां चढ़ी रहती है. शरीर बराबर तपता रहता है. ठीक से सोता नहीं है. कहीं भी उल्टी- दस्त कर देता है. मुह से झाग फैकता है. हमेशा पैर पटकता है और शारीर से कुछ दुर्गन्ध भी आने लगती है.
इस प्रकार के लक्षण उस व्यक्ति के मने गए है, जिन पर भुत-प्रेत-डाकिनी-शाकिनी, चुड़ैल या शैतान सवार हो जाता है.
स्त्रियों पर भी प्रेत-प्रभाव के लक्षण इसी प्रकार के बतलाये गए है. अंतर केवल इतना है की वह कपडे भी फाड़ कर फैक दिया करती है. शारीर पर कोई कपडा रखना उनको पसंद नहीं रहता है.
बालकों पर इनका प्रभाव पड़ने के कारण लगातार उनका रोना, बहुत कोशिशे करने के बाबजूद भी चुप न होना, हाथ-पैर पटकना, बेहद मचलना, नोचना, होंठ चबाना, दांत किटकिटाना आदि लक्षण परेश कर जाते है.
कुछ अलौकिक घटनाएँ भी प्रेत का अस्तित्व बतलाती हैं. अनायास पत्थर वर्षा, कहाँ से पत्थर आ रहे है, इसका कुछ भी पता न चलना घर का सामान अपने आप इशार-उतार फैक दिया जाना, अथवा टंगे-टंगे या रखे=रखे कपड़ों में आग लग जाना या उसमें खून के छीटें आ जाना आदि घटनाएँ इसका प्रमाण है.