जन्म कुण्डली में शनि हो, तो व्यक्ति को धुल से उठा कर आकाश की ऊंचाई तक पहुचाने में समर्थ होता है, परन्तु शनि का अशुभ प्रभाव सम्राट तूतुल्य सफल व्यक्तिको धुल-धूसरित क्र देता है. उसे विपन्नता के कैसे अंधकार में विलीन कर देता है जहाँ प्रकाश की कोई किरण नहीं पहुच पाती. यदि आशा का कोई दीप प्रज्ज्वलित हो भी जाए, तो प्रायः उसकी प्रतीक्षा की अवधि सवर्दा शेष बनी रहती है. वह व्यक्ति हताश, निराश, उदास और परास्त होकर अपने जीवन के अंत की कामना करने के लिए विवश हो जाता है.
हमारे ऋषि-मुनि मर्मज्ञ मनीषियों और शास्त्रज्ञों व् प्रखर आचार्यों ने सहस्त्रों वर्ष पूर्व शनि की इस जटिलता को समझ लिया था. समाज और मानव संस्क्रति को शनि के आतंक, भय,भ्रम, भ्रान्ति, असहनीय पीड़ा से मुक्ति प्रदान करने हेतु शनि शमन और लोक कल्याण हेतु अनेकों उपायों से हमें परिचित कराया है, जिनके निष्ठां, विशवास और श्रद्धा के साथ अनुसरण करने से शानिक्र्त अनिष्टों का शमन हो जाता है, समस्त उपायों को यहाँ उद्घत नहीं किया जा सकता, अतः हम प्रमुख एवं अनेक बार परीक्षित उपायों का उल्लेख निचे कर रहे हैं, उनका गंभीरता के साथ करने से शानिक्र्त समस्त वेदना का शमन होना सुनिश्चित है.
शनि गृह की शांति हेतु वैदिक मन्त्र
पहला मन्त्र :
ॐ खां खीं खाैं सः ॐ भुभुवः स्वः ॐ शन्नो-देवी-रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शज्यों-रभिस्त्र वन्तुनः। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः खाैं खीं ॐ शनैश्चराय नमः ।
दूसरा मन्त्र :
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम ।
शनि गृह की शांति हेतु तांत्रिक मन्त्र
पहला मन्त्र:
ॐ प्रां प्रीं प्राैं सः शनये नमः ।
दूसरा मन्त्र :
ॐ खां खीं खाैं सः शनैश्चराय नमः ।
मन्त्र प्रयोग विधि : शनिवार के दिन उपरोक्त मन्त्रों में से कोई एक मन्त्र का रुद्राक्ष की माला से एकमाला जप आरम्भ करें. उस दिन प्रातः काल स्नान से पवित्र होकर, काले वस्त्र धारण कर, शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाएं. दीपक में थोडा- सा काले उरद डाल दें. सुगन्धित अगरबत्ती जलाकर, काले कम्बल के आसन पट बैठकर मन्त्र जप करें.
शनि से सम्बंधित दान की वस्तुएं
शास्त्रों में वर्णित है:
मापाश्च तैलं विमलेंद्र नीलम, तिलं कुलात्थी महिषी च लोहम ।
सद्क्षिणं वस्त्र-युतं वदन्ति सभक्ति दानं रविनन्दनाय ।
हिंदी अनुवाद : शनिवार के दिन सांयकाल के समय किसी ब्राह्मण या दिन-हीं निर्धन को काले तिल, काला वस्त्र, लोहा, ऊन, खड़ाऊँ, भैंस, काली गाय, काला फूल-फल, कस्तूरी, नीलम, स्वर्ण, कुलथी, जूता, गुड, अंगीठी, चिमटा, तवा, बाल्टी आदि में से कोई भी वस्तुएं सामर्थ्य के अनुसार दान करने से शनि पीड़ा का शमन होता है.
शनि गृह की शांति हेतु रत्न नीलम धारण करने की विधि
5 से साढ़े 7 रत्ती वजन की नीलम चाँदी की अंगूठी में दाहिने हाथ की मध्यमा में (महिलाएं बाँए हाथ की माध्यम में ) शनिवार के दिन सूर्योदय के 48 मिनट के भीतर धारण करना चाहिए.
शनि गृह की शांति हेतु अन्य विविध उपाय
1- शनिवार को काले वस्त्र धारण करें.
2- अपने निवास स्थान के कमरे में नील, काले तथा बैगनी रंग के बल्व जलाएं. कमरे में खिड़की दरवाजे, सोफे आदि के पर्दे, रजाई, बिस्तरे एवं सिर्हानी कवर भी उपरोक्त रंगों का ही इस्तमाल करें.
3- शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर जाकर उनके दर्शन करना चाहिए तथा उनकी मूर्ति पर सरसों तेल, उड़द, काला वस्त्र तथा दक्षिणा आदि अर्पित करनी चाहिए.