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Shakun apshakun

।। छींक और शकुन ।।

शुभ कार्य करते समय गाय का छींकना घोर अशुभ का सूचक होता है । प्रवास के समय पहले एक व्यक्ति छींके फिर दूसरा भी कोई अन्य तो एसी छींक निरर्थ कही जाती है । वृद्ध जन की, बालक काफ से सर्दी-जुकाम से हुई छींक निरर्थ होती है । सोने के पहले भी छींक अशुभ होती है, भोजन के पहले छींक भी अशुभ रहती है ।

कहते है कोई भी शकुन होने से पहले या बाद छींक हो जाय तो उनके शुभ होने का कार्य अर्थ  है ? अर्थात एक अकेली छींक सभी शकुनों को उपसर्ग की तरह बोधित करती है.

शास्त्रकारों ने छींक का सूक्ष्म विश्लेष्ण करके इसके दिशानुसार निर्णय किए हैं. और दिन के विभाग के अनुसार इसके शुभाशुभ फल बताएं हैं । दिशा का निर्णय उस व्यक्ति की स्थिति के अनुसार किए जाएगा. जिसे छींक हुई है या जो किसी कार्य विशेष को सोच रहा है. अथवा प्रारंभ कर रहा है.

दिन के प्रथम प्रहर में होने वाली छींक उत्तर की तरफ हो तो शत्रु भय और पश्चिम की और होने पर दूर गमन कराती है. शेष दिशा-विदिशा में शुभ फल देती है.

दुसरे प्रहर में होने वाली छींक इशान कोण में विनाश की, दक्षिण में म्रत्यु भय की, उत्तर में शत्रु संगति की सुचना देती है. शेष दिश-विदिशा में शुभ फल देती है.

तीसरे प्रहार में होने वाली छींक इशान कोण में होने पर व्याधि, दक्षिण दिशा में विनाश और पश्चिम दिशा में कलह की सुचना देती है. शेष दिशा विदिशा में उत्तम फल देती है.

चोथे प्रहर में पूर्व दिशा में अग्नि भय, अग्नी कोण में भी अग्निभय, दक्षिण में कलह, पश्चिम में चोरी, वायव्य कोण में दूर प्रवास की सूचक होती है. शेष दिशाओं में अनुकूल फल की सुचना देती है.

इस विवरण में उन्हीं दिशाओं और कोनों का उल्लेख किया गया है. जिनमें होने वाली छींक अशुभ सुचना देती है. शेष में होने वाली छींक अशुभ सुचना देती है. शेष में होने वाली छींक शुभ फल ही प्रदान करती है. रात्रि में प्रहारों का भी यही विभाजन और यही फल देता है.