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Menka apsara mantra

Menka apsra sadhna

पाठको ! प्रेमी-प्रेमिका एवं पति-पत्नी वशीकरण हेतु-प्रचंड शक्तिशाली श्री मेनका अप्सरा यंत्र साधना

प्रेमी-प्रेमिका की बहुत ही अद्भुत दशा होती है. एक बार जब किसी को अपने प्रिय की लगन लग जाती है तो उसके ह्रदय में प्रिय अत्यधिक अंतरंगता के साथ बस जाता है, फिर तो उसे प्रिय के भाव हर समय बांधे रहते हैं. चाहे वह कोई भी कार्य करे, उसे हर क्षण अपने प्रिय की उपस्थिति का भान होता रहता है और प्रेमी सदैव अपनी प्रिय के सानिध्य के दिव्य भावों से आविर्भूत होता रहता है.

प्रेमी जब अपने प्रिय से दूर होता है, तो उसके नेत्रों से स्वतः ही अश्रुपात होने लगता है और रोने-धोने के अतिरिक्त उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है.

ईएसआई स्थिति में प्रेमी-प्रेमिका या पीटीआई-पत्नी को आपस में मिलने हेतु, एक दूजे को वश में करने हेतु – ” सिद्ध मेनका अप्सरा यंत्र ” का प्रयोग अतिसफ्लता दायक साबित हो रहा है.

इस यंत्र का सम्बन्ध इन्द्रासन की परी अप्सरा मेनका से है, जिन्होंने ब्रह्मरिषि विश्वामित्र तो परम ब्रह्मचर्य थे, उन्हें भी वशीभूत कर, प्रेम के शिकंजों में कसकर अपना पति बना लिया.

सिद्ध अप्सरा मेनका यंत्र के बारे में तंत्र चूड़ामणि ग्रन्थ में बैरव जी ने भगवती भैरवी से कहते हैं :

भैरव उवाच

तपसो ग्रेन तुष्टेन भक्त्या क्रोध-न्र्पें यत.

गदितं सांभव ज्ञानं सर्व वशीकरण प्रदायकम.

कस्तें महता लब्धं मेनका अप्सरा साधनम

विख्यात त्रिषु लोकेश्व प्रकाश्यं ते प्रकाशितम .

भ्क्तिहिने दुराचारे हिन्साव्र्ट परायणे .

भावार्थ : भगवन ने कहा – है भैरवी ! यह सिद्ध मेनका अप्सरा यंत्र साधना की विधि मैंने भगवान् शिव द्वारा प्राप्त की है. यह ज्ञान बड़े परिश्रम से मैंने प्राप्त किया है. इस महान साधना का ज्ञान मैंने आजतक तीनों लोकों में तुम्हारे सिवा किसी को नहीं बताया है. यह साधना तीनों लोकों में वशीकरण की सर्वश्रेष्ठ साधना है. इस साधना से मनुष्य चाहे स्त्री हो या पुरुष जीवन भर दास-दासी बनकर साधक की सेवा करती हैं. भक्ति हीन, दुराचारी एवं हिंसक व्यक्तियों का इस साधना का ज्ञान नहीं देना चाहिए.

श्री मेनका अप्सरा मन्त्र निर्माण विधि

इस यंत्र का निर्माण दीपावली या होली की रात्रि अथवा किसी भी माह के शुभ महूर्त किए शुक्रवार के दिन आरम्भ करें. रात्रि 10 बजे स्नान से पवित्र होकर सफ़ेद वस्त्र ( बिना सिले हुए ) धारण करें. सफ़ेद रंग के चादर कंधे पर आगे तरफ दोनों तरफ लटका क्र रखें. विल्व लकड़ी से बना सिहासन पवित्र एकांत कमरे में उत्तर दिशा में स्थापित करें. सिंहासन पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर सुगन्धित इतर छिडकें. एक कांशे की थाली में लाल साडी, ब्लाउज एवं पेटी कोट ( साया ) हेतु लाल रंग के वस्त्र, श्रंगार की वस्तुएं, 11 पान के बीड़ा, 11 लड्डू, सुगन्धित अगरवत्ती व् चमेली तेल का दीपक लगाएं.

इसके पश्चात् सिद्ध गुरु से प्राप्त किया हुआ ” सिद्ध गुरु रक्षा कवच यंत्र ” में लाल डोरे डालकर तांबे के प्लेट में सिंहासन पर रखें. फिर “ॐ गं गणपति गुरुवे नमः ” मन्त्र का उच्चारण करते हुए – ” गुरु यंत्र ” पर क्रमशः गंगाजल, चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, पुष्प व् नैवेध चढ़ावें. इसके बाद सिद्द गुरु रक्षा कवच यंत्र को प्रणाम क्र गले में धारण कर लें.

अब नीचे लिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए ” श्री मेनका अप्सरा ” का ध्यान करें.

श्री मेनका अप्सरा ध्यान मन्त्र :

शुक्र क्रष्णा रूणा भाषां द्विभुजां लोल लोचनाम ।

भ्रमद भ्रमर संकाशां कुटि लालक कुन्तलाम ।।

सिंदर तिल्कोदिप्त अन्जनाजित लोचनाम ।

रक्त वस्त्र परिधानाम शुक्ल वस्त्रोतरी यनिम ।।

ध्यायेच्छे शिमुखिं नित्यं मेनका सिद्धये ।।

भावार्थ : भगवती मेनका देवी का वर्ण तेजोमय श्वेत-श्याम व् रक्तिम है, दो भुजाएं हैं, नेत्र सुंदर हैं. मधु रस का पान करते भ्रमरों के सामान जिनकी केश्राशी रक्तिम वस्त्र पहने हुए हैं जिस पर श्वेत वर्ण का दुपट्टा है. ईएसआई चंद्रमा के सामान मुखवाली भगवती मेनका का ध्यान करता हूँ. हे भगवती हमारी साधना पूर्ण कर हमारी कामना पूर्ण करें.

नोट: ध्यान मन्त्र समाप्त होने के बाद निचे चित्रित श्री मेनका अप्सरा यंत्र का निर्माण करें.

menka apsra yantra
Menka apsra yantra

स्वयं निर्मित यंत्र को चाँदी या तांबे के ताबीज में भरकर, लाल डोरे डालकर गुरु रक्षा यंत्र वाले प्लेट में रख दें. अब ” ॐ मेनका अप्स्राभ्यो नमः ” मन्त्र का उच्चारण करते हुए यंत्र स्वयं निर्मित यंत्र पर क्रमशः गंगाजल, चंदन, इतर, बिल्ल्व् पत्र, पुष्प व् नैवेध चढ़ाएं. इसके बाद स्फटिक की 108 दाने वाली माला से 21 माला नीचे लिखित मन्त्र का जप करें.

यंत्र सिद्ध मन्त्र

ॐ ह्रीं सः मेनका मातेश्वरी अमुकं मम वासी कुरु ठः ठः ।।

नोट : उपरोक्त मन्त्र में ” अमुकं ” की जगह उसका नाम लें, जिसको वश में करना है. मन्त्र जप समाप्त होने के बाद यंत्र को प्रणाम क्र आसन से उठ जाएँ. दूसरी रात्रि से सिंहासन पर धूप-दीप जलाकर पहले करजोड़ कर ध्यान मन्त्र द्वारा ध्यान करें, फिर 21 माला जप करें.

अंतिम रात्रि को जप समाप्त होने किए बाद स्वयं निर्मित यंत्र को प्रणाम क्र गले में धारण कर लें. सिद्ध गुरु रक्षा कवच यंत्र गले से उतरकर एक लाल वस्त्र पर रखें, साथ में 5 लड्डू और 5 लाल फूल रखकर, गाँठ बाधकर बहती दरिया में प्रवाहित कर दें. यहीं आपकी यह साधना पूर्ण हुई.

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