दाहिना और बायां हाथ
दाहिने और बाएं हाथ के अंतर को समझना भी हस्त परीक्षा में बहुत महत्वपूर्ण है । जो भी देखेगा वह विस्मय करेगा की एक ही व्यक्ति के दोनों हाथ एक-दूसरे से बिल्कुल विभिन्न होते हैं । यह भिन्नता अधिकतर रेखाओं के रूपों, उनकी स्थितियों तथा चिन्हों में होती है ।
हमने ओ नियम अपनाया है उसके अनुसार दोनों हाथों की परीक्षा करनी चाहिए, परन्तु दाहिने हाथ से मिली सुचना को अधिक विश्वसनीय मानना चाहिए । ” The left is the hand we are born with, the right is the hand we make. ” ( अर्थात वाया वह हाथ है जो हमें जन्म से मिला है, दाहिना वह हाथ है जो हम स्वयं बनाते है ) सिद्धांत भी यह सही है और इसी का अनुपालन करना चाहिए।
बाया हाथ जातक के प्राक्रतिक स्वभाव को प्रदर्शित करता है और दाहिने हाथ में जन्म होने के बाद, पाए हुए प्रशिक्षिण, अनुबव और जीवन में जिस वातावरण का सामना किया हो उसके अनुसार रेखायें और चिन्ह होते हैं ।
मध्य-कालीन युग में बाएं हाथ को देखने की प्रथा थी, क्योंकि एसा विश्वास किया जाता था कि ह्रदय से निकट स्थिति होने के कारण जातक के जीवन का प्रतिबिम्ब दिखने का सच्चा दर्पण है ।
हम इसे अन्धविश्वास मानते हैं और इसके कारण हस्त्विज्ञान को अचनती प्राप्त हुई थी । यदि हम युक्त-संगत और वैज्ञानिक रूप से बिवेचन करें तो पाएंगे कि मनुष्य अपने दाहिने हाथ ही को अधिक प्रयोग में लता है, इस कारण बायें हाथ की अपेक्षा मांसपेशियों में तथा स्नायुओं में उसका अधिक विकास होता है । उतना बायां नहीं करता ।
जेसे की प्रदर्शित हो चूका है, मनुष्य शारीर एक धीमे परन्तु नियमित विकास के दौर से गुजरता है, और जो भी परिवर्तन उसमें होता है उसके प्रभाव की छाप शारीर की सारी व्यवस्था पर पड़ती है । इस लिए करनी चाहिए – क्योंकि भविष्य में जब भी विकास से या अविकस से परिवर्तन होंगे वे उसी द्वारा प्रदर्शित होंगे ।
अतः हमारा मत यह है कि ‘साथ-साथ ‘ दोनों हाथों का परिक्षण करना उचित होगा । इस प्रकार हम जान सकते हैं की जन्म-जात गुण क्या थे और अब क्या हैं । परिक्षण से यह मालूम करने का प्रयत्न करना चाहिए कि जो परिवर्तन हुए हैं उनके क्या कारण हैं । भविष्य में क्या होगा, यह दाहिने हाथ की रेखाओं के विकास के द्वारा बताना संभव होगा ।
जिन लोगों का बायां हाथ सक्रिय होता है ( जो बायें हाथ से काम करने वाले होते है ) उनका बांया हाथ ही रेखाओं आदि का विकास प्रदर्शित करेगा । उनके लिए दाहिने हाथ की जन्म-जात गुणों का हाथ समझना होगा ।
यह देखा गया है की कुछ लोगों ममें परिवर्तन इतना अधिक होता है की बाएं हाथ की कोई भी रेखा दाहिने हाथ की रेखाओं से नहीं मिलती । कुछ लोगों में परिवर्तन इतना अधिक होता है की बांये हाथ की कोई भी रेखा दाहिने हाथ की रेखाओं से नहीं मिलती ।
कुछ लोगों में परिवर्तन इतना धीमा होता है की रेखाओं में अंतर बहुत कम दिखाई देता है । जिसके हाथों में परिवर्तन अधिक हो तो यह समझना चाहिए कि उस जातक का जीवन उस व्यक्ति से अधिक घनापूर्ण रहा है जिसके हाथ में परिवर्तन कम हो ।
इस प्रकार से ध्यानपूर्वक हस्त-परीक्षा करने से, जातक के जीवन की घनों के वारे में और उसके विचारों में तथा कार्यशीलता में जो परिवर्तन आये हैं, उनके सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।