व्यवसाय सम्बन्धी चिंताएं दूर करने हेतु उपाय :-
1- अपने व्यवसाय स्थल पर दो किलो फिटकरी किसी चीनी की प्लेट में खुली रखें.
2- विशेष उपाय हेतु तीन किलो नमक एक लाल मटकी में अपने शयन कक्ष में रखें. इससे चिंताएं दूर होनी और सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होगी.
3- दीपावली की संध्या को अशोक वृक्ष के निचे गाय के घी का दीपक जलाएं और गंगाजल, अक्षत, चंदन, विल्वपत्र, पुष्प एवं 11 लड्डू चढ़ाएं. फिर वृक्ष को प्रमाण कर उसी वृक्ष की 3 कोमल पत्तियां तोडकर घर ले आयें.
4- कच्चे दूध में चीनी मिलाकर 7 शनिवार (प्रातः काल स्नान से पवित्र होकर ) जामुन के वृक्ष की जन में अर्पित करें. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष में आरम्भ करें.
व्यवसाय में पूर्ण प्रगति व सफलता हेतु – विभिन्न शक्तिशाली तंत्र
1- अनेक प्रयास करने पर भी व्यापार में उन्नति नहीं हो पा रही हो तो निम्न तंत्र का प्रयोग करें :
वृहस्पतिवार के दिन ‘श्यामा तुलसी’ ( काली पत्ती वाली तुलसी ) तुलसी के चारों और उग आई खर-पतवार को किसी पीले वस्त्र में बंधकर व्यापर स्थल के पवित्र स्थान में रख दें.
2- नित्य ही तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं .
3- मंगलवार को सीधी डंटल वाली सात साबुत हरी-मिर्च और एक नीबू ले आयें. उन्हें काले डोरे में पहले चार हरी मिर्च फिर नीबू और फिर तीन हरी मिर्च पिरो लें और दुकान या कार्यालय अथवा फैक्ट्री स्थल के मुख्य द्वार पर टांग दें अर्थात लटका दें. एसा हर मंगलवार अथवा शनिवार को करें. एसा करने से व्यापार उन्नति होगी.
नोट: पाठको ! कई वार एसा होता है कि उद्योगपति पुराने उद्योग से आशातीत सफलता प्राप्त करके नया उद्योग स्थापित करने के लिए उत्साहित होता है, परन्तु कभी-कभी पुराना उद्योग यथावत चलता रहता है. किन्तु नया उद्योग अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करता है. ऐसी स्थिति में यह उपाय करें :
. शनिवार को पुरानी ‘फैक्ट्री ‘ कार्यालय या दुकान से लोहे की कोई भी वस्तु नये संस्थान में लाकर रख दें. रखने से पूर्व उस स्थान पर थोड़े से साबुत काले उड़द डाल दें. यह स्मरण रहे कि वह वस्तु बार-बार हटाई न जाये. इस क्रिया से पुराने उद्योग के साथ-साथ नया उद्योग भी चलने लगेगा.
. शुक्रवार की रात्रि में सवा किलो काले चने जल में भीगने हेतु छोड़ दें. प्रातः काल सरसों के तेल से उसे तलकर, ठंडा होने पर उसका तीन भाग करें. एक भाग (शनिवार ) को घोड़े या भैसे को खिला दें. दूसरा भाग कुष्ट रोगी को दें. तीसरा भाग अपने ऊपर से घडी की सुई से उलटे ढंग से 7 बार उसार कर चौराहे पर रख दें. यह प्रयोग सात शनिवार लगातार करें.
. शुक्रवार के दिन चना और गुड व् खट्टी मीठी गोलियाँ मिलाकर, उन भुने हुए चने को आठ वर्ष की आयु के भीतर के बालकों में बाटें.
दुकान की बिक्री बढाने हेतु – अति तेजस्वी तंत्र
पाठको ! यदि अनेक प्रयत्नों के उपरांत भी दुकान की बिक्री नहीं बढ़ रही हो, तो किसी भी महीने के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से यह प्रयोग आरम्भ करें :
व्यापार स्थल या दुकान के मुख्य द्वार के एक कोने में जमीं को गंगाजल से धोकर स्वच्छ शुद्ध कर लें. इसके पश्चात् हल्दी चूर्ण की घोल से दाहिने हाथ के अंगूठे के बाद बाली ऊँगली अर्थात वृहस्पति की ऊँगली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उस पर थोड़ी – सी चने की दाल और गुड रख दें. इसके बाद स्वास्तिक को बार-बार न देखें. इस प्रक्रिया को कम से कम 11 गुरूवार अवश्य करें. पहले चढ़ाए हुए गुड और दाल को ले जाकर किसी मंदिर में चढ़ा दें अथवा बहती दरिया में प्रवाहित कर दें.