जो स्त्री गर्भ धारण करने के योग्य हो, परन्तु गर्भ नहीं ठहरता हो, सब प्रकार से इलाज करा लेने पर भी लाभ न होता हो तो अथर्वेद में वर्णित निम्नलिखित तंत्रों में से एक तंत्र अपनाकर पुत्रवती बने:
1- रविवार के दिन ” सुगंधरा की जड़ ” लाकर, एकवर्णा गौ (गाय) के दूध के साथ पीसकर पिने से वन्ध्या स्त्री भी गर्भवती होकर पुत्र उत्पन्न करती है.
2- रजोधर्म शुद्धि के पश्चात् ‘काली अपराजिता की जड़’ को बछड़ा वाली नवीन गौ के दूध में पीसकर तीन दिन पीने से वन्ध्या गर्भवती होकर भाग्यवान पुत्र उत्पन्न करती है.
3- सिद्ध बाल गोपाल यंत्र गले में धारण करने से अवश्य ही स्त्रियाँ गर्भवती हो जाती है और पुत्र ही उत्पन्न होता है. इस यंत्र के द्वारा अनेकों दुखी बाँझ नारी की गोद भी भर जाती है.
4- पहला बच्चा देने वाली गे, जिसका बच्चा बछड़ा हो, ऐसी गाय के दूध के साथ नाग केसर का चूर्ण सात दिन तक पिने से स्त्री पुत्रवती होती है.
5- नीबू के पुराने पेड़ की जड़ को दूध में पीस कर घी मिलाकर पिने से, फिर पति प्रसंग करने से स्त्री को दीर्घजीवी पुत्र प्राप्त होता है.