शशक जाति के पुरुषों के जीवन चरित्र:-
इस जाति के पुरुषों के केश कोमल, नेत्र विशाल होते हैं. ये शांत और शांतिपूर्वक शासन में तत्पर रहते हैं इनके शारीर के अंग सूक्ष्म, स्वयं अत्यंत पवित्र और मुख पूर्ण चंद्रमा के सामान आनन्द दायक, दांत चिकने, बराबर और चौड़े होते हैं.
इनके हाथ, पैर, जानु, पडू, ग्रीवा तथा जंघा में कुछ श्यामता होती है. वीर्य में सुगन्धि होती है. ये थोडा विषय करने वाले होते है, एक स्थान में रहने पर भी चार कोष तक इनकी सुगन्धि फैली रहती है.
ये युग के आदि और अंत में पैदा होते है. और 37 वर्ष तक जीते और प्रभावशाली होते है. संतान इन्हें थोड़ी होती है. कोई- कोई इन्हें देव पुरुष भी कहते हैं.
मृग जाति के पुरुषों के जीवन चरित्र:-
मृग जाति वाले पुरुषों के अधरोष्ठ कोमल, चिकने और लाल होते हैं. इस जाती के पुरुष श्रेष्ठ विहार शील, हँसकर बोलने वाले, पुकारते ही लौटकर देखते और आगमनोत्त्सुक होते है.
उनका करतल खंड वा पूर्ण त्रिकोण से युक्त होता है. सुन्दर कमल के सामान नेत्रों से मुखारविंद अति मनोहर और हाथ-पैर कोमल होते हैं. उनका शारीर न बहुत मोटा और न पतला तथा छोटा भी नहीं होता .
ह्रदय तिल से अंकित, ग्रीवा सुन्दर, कंधे मध्यम होते हैं. उनका मुख लज्जा से नम्र होता है. वे चंचल होकर भी धीर बुद्धिवाले होते है. उनका मुख लज्जा से नम्र और चित्त अपनी और चिचने वाले होते हैं.
और प्रसन्नता की मूर्ति, उदार चित्त, अपने कुल का अभिमान करने वाले, उत्तम प्रिय बोलने वाले, अनीति से डरने वाले, गुरु और साधू से नम्र होकर साम्राज्य लक्ष्मी (एश्वर्य) को प्राप्त करते है. मृग पुरुष सदा विहार विषयक वार्ता करते और उनके अंत में उत्तम रस पाते और पशु-पक्षियों को देखकर शीघ्र प्रसन्न होते है.